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PRATAP CHAUHAN

Abstract Children Stories Inspirational

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PRATAP CHAUHAN

Abstract Children Stories Inspirational

एक बिटिया

एक बिटिया

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एक बिटिया थी सुरम्य शिपाली,

पढ़ने लिखने की वह आदीI

विद्यालय से जब घर आती ,

घर पर उसे पढ़ाती दादीII

जब विद्यालय की शिक्षा पाकर,

वह महाविद्यालय पढ़ने आईI

अनजानों के महानगर में,

पापाा को वह साथ में लाई II

करके स्नातक की पूर्ण पढ़ाई,

देश की सेवा की अब ठानीI

ठानने वाली वही शिपाली,

लोक प्रशासक बनकर मानीII

जहां जरूरत जिसको होती,

करने मदद वहां वह जातीI

तब निर्भय होकर सभी घूमते,

वह ऐसा निर्णय करके आतीII

एक दिन उस पर संकट आया,

जब मिथ्या दोष किसी ने लगायाI

तब खुली अदालत मध्य पहर में,

न्यायमूर्ति कुछ समझ ना पाया II

बिना तथ्य के न्यायाधीश ने,

पदच्युत की उसे सजा सुना दी I

फिर गूंजे स्वर उस न्यायालय में,

न्यायाधीश करो शीघ्र बहाली II

यह खबर गई जब चौपालों तक,

सब ने न्यायालय को घेराI

झूठा है आरोप किसी का,

कहकर वहीं पर डाला डेराII

जज भी समझ गया सब बातें,

निर्णय फिर से लगा सुनानेI

रिहा हुई निर्दोष शिपाली,

जनता को जज लगा रिझानेII

कवि प्रताप की पक्व पंक्तियां,

कितनी किसको भाएंगीI

प्रिय मित्रों की अहम टिप्पणी ,

देखो क्या  रंग लाएंगीII


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