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Nalanda Satish

Abstract

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Nalanda Satish

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एक और एक ग्यारह

एक और एक ग्यारह

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जरूरी नहीं एक और एक दो ही हो

यह भी जरूरी नहीं एक और एक, 

एक से बढ़कर एक हो

एक से भले दो भी होते हैं


एक और एक ग्यारह भी होते हैं

जैसे सावन का अंधा होता है

जैसे सोने पर सुहागा होता है

जैसे बहरी प्रजा में काना राजा होता है


जैसे एक तो करेला ऊपर से नकचढ़ा

एक और एक से शक्ति दोगुनी हो जाती है

एक और एक से विश्वास की मात्रा बढ़ जाती है

एक और एक से द्विगुणित होता है स्वाभिमान


एक और एक से पुलकित होता है दिल का ईमान

एक और एक होते है ग्यारह

औरो के होते हैं पो बारह

एक और एक की शक्ति अलग, युक्ति अलग

साथ में मिल जाए तो भक्ति अलग


साथ मिलकर गमों से निजात पाते

हाथ मिलाकर काम हजारों का करते

जिंदगी की दौड़ में साथ निभाना है जरूरी

भागमभाग की दुनियां में साथ चलना है जरूरी


आओ हम मिलकर बनते है एक और एक ग्यारह

बैठकर करते है अपने दुख दर्द को तबाह

साथ पाकर तुम्हारा मुसीबतें मुंह मोड़ लेंगी

जिंदगी में अपनी बरकत शुरू होगी


आओ हम मिलकर बनाते हैं एक सुंदर आशियाना

सूरज सी जिंदगी को लगे जैसे चांद सुहाना।


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