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Shivani Kumari

Classics

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Shivani Kumari

Classics

एक अटूट रिश्ता

एक अटूट रिश्ता

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नाज़ुक सा एक रिश्ता है,

जो भाई-बहन को निभाना है,

चलना है एक साथ,

पाने को अपनी मंज़िल...


बीच राह पर छोड़ न देना भाई,

साथ मेरा थामे रखना...

ये रिश्ते की डोर बड़ी नाज़ुक,

पर कब मज़बूत होती गयी पता ही न चला...

 

वो रिश्ता ही क्या जहाँ लड़ाई झगड़े ना हों,

वो बंधन ही क्या जहाँ प्यार न हो...

आपकी शिकायत रोज़ लगाती हूँ,

पर बचाने को भी मैं ही आती हूँ...


रात रात पर जागते देखा है आपको,

कामयाबी पाने का हौसला देखा है आपमें...


आपसे ही सीखा है मैंने सब,

आपको ही समर्पित है सब,

आपका सिखाया हुआ हर पन्ना,

आपके लिए लिखना चाहती हूँ...


कभी दोस्त बनकर सहारा दिया,

तो कभी गलती करने पर बड़े बन डाँटा मुझे,

कोई कुछ कहे न मुझको, हर गलती को छिपाया मेरे...


कब आपने मुझे समझना शुरू किया पता ही न चला,

कब गलती करने पर मुझे बताना न समझा पता ही न चला...


वो किस्मत वाले होते हैं,

जिन्हें आप जैसा भी नसीब होता है,

वो बड़े खुशनसीब होते हैं,

जिनके पास अपना भाई होता है...


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