एहसास
एहसास
सूखा आंगन सूखी नदियां; सूखा खेत खलिहान
बूंदे भी आंसुओं की ; मोल मांगे जान
माई लेकर घड़ा जल का ; चलती कोसों दूर
हरा भरा था खेत मेरा ;,आज हुआ बेनूर
नमी देती काली मिट्टी ,;आज फटी बेजान
कैसी उपज हो बिना जल के,; जीना कैसे अन्न बिना
तरस रहा है हर कोई आज ; पानी करके जाया
एहसास हुआ आज गलती का ,;जब वक्त बुरा है आया।
