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meera uttarwar

Abstract

3  

meera uttarwar

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एहसास

एहसास

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सूखा आंगन सूखी नदियां;  सूखा खेत खलिहान    

बूंदे भी आंसुओं की ; मोल मांगे जान   

माई लेकर घड़ा जल का ; चलती कोसों दूर

हरा भरा था खेत मेरा  ;,आज हुआ बेनूर   

नमी देती काली मिट्टी ,;आज फटी बेजान

कैसी उपज हो बिना जल के,; जीना कैसे अन्न बिना

तरस रहा है हर कोई आज ; पानी करके जाया

एहसास हुआ आज गलती का ,;जब वक्त बुरा है आया। 

      


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