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चांद की शीतलता भी वही है पर मानवता है सूखी क्यों? चांद की शीतलता भी वही है पर मानवता है सूखी क्यों?
बाहों में तेरी बाहें मेरी बस धड़कनों का हो गुंजन! बाहों में तेरी बाहें मेरी बस धड़कनों का हो गुंजन!
सूखा आंगन सूखी नदियां; सूखा खेत खलिहान बूंदे भी आंसुओं की ; मोल मांगे जान। सूखा आंगन सूखी नदियां; सूखा खेत खलिहान बूंदे भी आंसुओं की ; मोल मांगे जान।
इसी आंचल में पली-बढ़ी है आज की पीढ़ी बोल्ड! इसी आंचल में पली-बढ़ी है आज की पीढ़ी बोल्ड!
तलवार रुकना नहीं झुकना नहीं अब कर हर अन्याय पर पलट कर वार। तलवार रुकना नहीं झुकना नहीं अब कर हर अन्याय पर पलट कर वार।
किसने कहा साड़ी पहनकर तो लगती है ओल्ड इसी आंचल मे पली बड़ी है आज की पीढ़ी बोल्ड! किसने कहा साड़ी पहनकर तो लगती है ओल्ड इसी आंचल मे पली बड़ी है आज की पीढ़ी बोल...