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Manju Saini

Inspirational

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Manju Saini

Inspirational

ए वतन

ए वतन

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ए वतन ए वतन मुझकों तेरी कसम

ए वतन ए वतन मुझको तेरी कसम


हम जिये हम मरे इस वतन के लिए

फूल खिलते रहे इस वतन के लिये

मेरी जान हो समर्पित इस वतन के लिये

मैं कफ़न ओढ़ लू इस वतन के लिए


ए वतन ए वतन मुझकों तेरी कसम

ए वतन ए वतन मुझको तेरी कसम।


मेने घर बार छोड़ा  वतन के लिए

मैं सेना में आया इस वतन के लिए

माँ ने जाया था बेटा इस वतन के लिए

पिता ने फर्ज दिया था इस वतन के लिए


ए वतन ए वतन मुझकों तेरी कसम

ए वतन ए वतन मुझको तेरी कसम।


बहना उदास है आज राखी के लिए

बच्चे भी हैं दुखी से आज पिता के लिए

पत्नी पथ को निहारे मिलन के लिए

मै तो आज हूं समर्पित वतन के  लिए


ए वतन ए वतन मुझकों तेरी कसम

ए वतन ए वतन मुझको तेरी कसम।

  

माँ ने बांधी हैं आशा पुत्र मिलन के लिए

पिता देखे हैं राह पुत्र मिलन के लिए

गाँव तके सारा मेरे मिलन के लिए

मैं तो हूँ आज समर्पित वतन के लिए


ए वतन ए वतन मुझकों तेरी कसम

ए वतन ए वतन मुझको तेरी कसम।


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