दुःख
दुःख
दुख का नाम सुनते ही
बढती है दिल की धड़कन,
दुखमें जीवन जलता है
और जलता है तन-मन।
सौ कोशिश करे भी कोई
दुख कभी नहीं मिटता,
तडप तडप के अपनी आत्मा
किस्मत को ही कोसता।
दुख को अपना बैर ही समझे
हर कोई इन्सान,
यह भूल जाता दुख में होती
सच्चाई की पहचान।
आग में जल कर जैसे
शुद्ध बन जाता है सोना,
दुख की आग में जल कर
आदमी बन जाता है नमूना।
जीवन में जब दुख न होता
खुशियों का एहसास,
महसूस कर नहीं पाते है हम
यह मेरा विश्वास।
दुख तो मेरी अपनी सहेली
मेरी किस्मत की डोर,
जीवनभर मैं दुख में जीउँ
कभी न मानु हार।
