STORYMIRROR

Hardik Mahajan Hardik

Inspirational

2  

Hardik Mahajan Hardik

Inspirational

दरबदर भटकते रहे है

दरबदर भटकते रहे है

1 min
72

दरबदर भटकते रहे हैं

कहीं ना कहीं हम

अटकते रहें हैं।

पैरों की शाखा टहनियों

पर जैसे लटकते रहे हैं

भटकते रहे हैं असफल

भी हुए हैं सफल भी हुए हैं

पहले हम भी "हार्दिक"

दरबदर भटकते रहे हैं!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational