दोस्ती किताबों की
दोस्ती किताबों की


दोस्ती किताबों की होती नहीं झूठी।
बदल देती है किस्मत इंसानों की फूटी।।
इन्सानों की दोस्ती दम है तोड़ देती।
मुसीबत के क्षण साथ है छोड़ देती।।
निस्संदेह आदमी करता है तिरस्कार।
किताबें कभी भी नहीं करती इनकार।।
किताबों की दुनिया होती हैं लाज़वाब।
करती आई हैं हकीकत को बेनकाब।।
मैंने हर नुक्कड़ पर इनसे नैन है लड़ाए।
कुछ महंगी देख उन्हें वही छोड़ आए।।
एक अंजान सी खुशबू होती है इनमें।
जो न फ़ोन पूरा कर सकती न मशीनें।।