दोस्ती की आस
ये दोस्त तेरी दोस्ती का कोई जवाब नहीं,
ये बेमिसाल यारीका विश्र्वमें कोई तोंड नहीं।
धन,शराब और शवाबसे इसका कोई मेल नहीं,
ये दोस्त तेरे दोस्ती पे मेरा कोई भी सवाल नहीँ।
ना कोई खून का रिश्ता,ना कोई ऋणानुबंधी,
ना कोई मेरी मजबूरी,ना कोई तेरी लेनदारी।
फिर भी दोस्ती निभाना तेरी-मेरी दिलकी मजबूरी,
अजब-गजब है तेरी-मेरी ये बिना खूनकी रिश्तेदारी।
जिंदगी के सफर में कई बनाते-बिगड़ते रिश्ते,
समय-समय पर बनते और कभी भी बिगड़ते।
कभी साथ छूटता हमारा जिंदगी का सफर काटते,
फिर भी याद रह जाती यारों की वो पुरानी सौगाते।
काश हमारा बस चलता जीवन-मरण चक्र में,
साथ में आते ,रहते और साथ में निकल लेते।
प्रकृती के नियम होते अजब-गजब दोस्ती जैसे,
तो कभी भी अलविदा करने की नौबते नहीं आते।
जब तक मेरे-तेरे सांस में जान है बाकी,
तब तक एक दूसरे से उम्मी दें है बाकी।
ये हमारी आस ती एक दिन टुटनी है बाकी,
ये दोस्ती की मिसाल जिंदा रखना है बाकी।
अरुण गोडे
मौसम कॉलोनी, नागपूर .
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