STORYMIRROR

दिसंबर की वो सर्द रात

दिसंबर की वो सर्द रात

1 min
28.3K


आज फिर एक नयी कहानी है इस दिल के पास

लेकन अंजाम.. अंजाम उसका भी है कुछ बेखास!!

 

इस बार भी सूली पे चढ़े हैं कुछ अरमान वही

विश्वास और धैर्य के लिबास उतारे कुछ जज़्बात यूंही!!

 

कहते थे इरादे नेक थे इस बार

पर शायद आलम कुछ और था, दिल की सरहदों के उस पार !!

 

समां कुछ इस कद्र था..

 

दिसंबर की वो रात सर्द थी

कुछ यूंही नाशाद ख्यालों का एक घना कोहरा सा था

 

उम्मीदों के तारे भी नहीं थे उस घनेरी रात में

बस मायूसी की चादर ओढ़े खड़ा था इठलाता गगन

 

अजी इतना बहुत था उनके इस रवैये को अंजाम देने के लिए

उनके एहसासों को सुन्न और गस्से को वो आग देने के लिए

 

खफ़ा तो आज भी नहीं हैं उनकी इस तब्दिलियों से हम

उनके उन बेआवाज़ लफ़्जों से हम

 

बात तो बस इतनी सी है

देर यहां प्यार के सूरज ने दस्तक देने में की है!!

 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance