इश्क़
इश्क़
ए खुदा
अगर मुझे इश्क़ हों
तो हो
पश्मिनी वादियों में
उगते ख़्वाब जैसा
उसकी पायल की खनक से
लिखी हर साज जैसा
होटों पे थिरकती
उसकी मुस्कान जैसा
किसी हीर को उसके
रांझें के इज़हार जैसा।
ए खुदा
अगर मुझे इश्क़ हों
तो हो
पश्मिनी वादियों में
उगते ख़्वाब जैसा
उसकी पायल की खनक से
लिखी हर साज जैसा
होटों पे थिरकती
उसकी मुस्कान जैसा
किसी हीर को उसके
रांझें के इज़हार जैसा।