वो हादसा
वो हादसा
अब तो ये पुरानी सी रीत है
जुदा हो जाये मेरा मीत
शायद उसी मे तेरी जीत है।
अगर इतनी ही नफरत थी
तो पहले क्यों नहीं बताया
क्यों लाया मुझे इस दुनिया मे
और क्यों जीना सिखाया ?
मलाल तो बहुत होगा तुझे की
तेरा नुमाइंदा ही आज तेरे खिलाफ जो खड़ा है
जो सर तेरी इबादत मे झुकता था
आज वही जवाब जानने के लिए अड़ा है।
अजी सच तो ये है ..
की सब डरते है तेरे सामने आवाज़ उठाने से
तेरे किये गए बवाल के कारण जानने से।
हाँ, मेरी आवाज़ मे वो इर्तिआश नहीं
क्योंकि शायद तेरी शक्ति पे मुझे अब विश्वास नहीं।
मैं तो हँस पड़ता हूं
उनकी अंधी भक्ति देख कर
तेरी मूर्तियों पे कनस्तर भर तेल चढ़ा जाते है
अपने पेट की रोटियां बेच कर।
मुझे तेरा कोई खौफ नहीं
अजी ख़ौफ़ क्या अब तो जीने का ही शौक नहीं।
अरे जब नींव ही नहीं रही
तो महल बनाने की पहल क्यों ?
बात बस इतनी सी है
हम परिवार मैं 8 लोग थे ..
हादसे के बाद बस
एक ही बचा है ॥"