STORYMIRROR

Mirza Sanuarbaig

Abstract

3  

Mirza Sanuarbaig

Abstract

दिलचस्प जो भी है

दिलचस्प जो भी है

1 min
188

दिलचस्प जो भी है

वो ज़ोर- ए - क़़लम है

एक तरफ़ ख़्वाब है

एक तरफ़ हक़ीक़त है

और मैं भी तो हूं यार

कोशिश या क़िस्मत 

क्या  कहूं उसे जो सही बैठे?

इसमें कवि की कल्पना भी तो है

सूरत - ए- हाल जो भी हो

आगे देखा जाएगा .....।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract