दिल की कलम
दिल की कलम
बहुत अच्छा तो ना सही,
पर दिल से लिखता हूँ ।
बहुत अच्छा तो ना सही,
पर दिल से लिखता हूँ ।
खून को बनाकर अपने,
लाल स्याही,
दर्द की कलम से लिखता हूँ।
तन्हा हूँ, मैं एक दम,
अपनी तन्हाई मिटाने को,
लिखता हूँ ।
बहुत अच्छा तो ना सही,
पर दिल से लिखता हूँ।
बैठकर, आंसूओं की धाराओं के
समुन्द्र में,
बड़े इतमिनान से, लिखता हूँ।
ठुकराया है, हर मोड़ पर,
जमाने ने मुझे,
अब मैं, जमाने को,
ठुकराने के लिए लिखता हूँ।
बहुत अच्छा तो ना सही,
पर दिल से लिखता हूँ।
तड़पा हूँ, बहुत मैं मोहब्बत में,
फिर भी, मोहब्बत पाने के लिए
लिखता हूँ ।
बहुत अच्छा तो ना सही,
पर दिल से लिखता हूँ।
