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दिल की दास्तान, इश्क़ में

दिल की दास्तान, इश्क़ में

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रातों रातों को

ये बेकरार करता है...

रातों रातों को

ये बेकरार करता है...

जाने क्यों ये

तुझसे प्यार करता है...!


पाने की झलक तेरी

ये एक खातिर...

पाने की झलक तेरी

ये एक खातिर...

ये दो दूनी चार करता है...!


बढ़ाता है कदम

ये एक लेकिन ..

बढ़ाता है कदम

ये एक लेकिन ..

ये एक पीछे यार करता है ..!


चाहता है क्या ..

चाहता है क्या

ये बताता भी नही ..!

बिना उसके जीना

दुश्वार करता है ..!


पिलाना चाहता है

ये ज़हर मुझको ..

ये कभी ..तो कभी

ज़िन्दगी से प्यार करता है

मुद्दते लगी भुलाने में उनको ..

कोशिश ये हर बेकार करता है !





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