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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Abstract

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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

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दिल के अमीर

दिल के अमीर

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आज करीब से

उनको और उनके

सौजन्यता को देखा !

हमारी भाषाएँ

हमारी वेशभूषा

की भिन्याताओं को

नजदीक से देखा !


हम उनको ना

समझते वो हमको

ना समझ पाते !

ये तो आखों की

भाषा ना होती

हम करीब ना आते !


निर्जन पहाडीयों में

अपना आशियाना

बना रखा है !

सुख सुविधाओं से बंचित

रहकर आशाओं का

दीपक जला रखा है !


ऊँची -ऊँची पहाड़ियों

में दिन तो किसी

तरह कट जाते हैं !

पर अँधेरी रातों में

हम डर-डर के

चिहुक जाते हैं !


ना विजली है ,ना पानी

ना राशन है ना तेल

का ठिकाना है !

स्वास्थ सेवा शिक्षा

के प्रचार का सिर्फ बहाना है !


"अच्छे दिन "भले यहाँ

आये तो नहीं क्या होगा ?

इनके मुस्कानों और

आतिथ्य पर सब फ़िदा होगा !


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