दिल के अमीर
दिल के अमीर
आज करीब से
उनको और उनके
सौजन्यता को देखा !
हमारी भाषाएँ
हमारी वेशभूषा
की भिन्याताओं को
नजदीक से देखा !
हम उनको ना
समझते वो हमको
ना समझ पाते !
ये तो आखों की
भाषा ना होती
हम करीब ना आते !
निर्जन पहाडीयों में
अपना आशियाना
बना रखा है !
सुख सुविधाओं से बंचित
रहकर आशाओं का
दीपक जला रखा है !
ऊँची -ऊँची पहाड़ियों
में दिन तो किसी
तरह कट जाते हैं !
पर अँधेरी रातों में
हम डर-डर के
चिहुक जाते हैं !
ना विजली है ,ना पानी
ना राशन है ना तेल
का ठिकाना है !
स्वास्थ सेवा शिक्षा
के प्रचार का सिर्फ बहाना है !
"अच्छे दिन "भले यहाँ
आये तो नहीं क्या होगा ?
इनके मुस्कानों और
आतिथ्य पर सब फ़िदा होगा !
