धरती माँ चीत्कार करे...
धरती माँ चीत्कार करे...


नन्ही सी परियों को कुचले, मरती कोख पुकार करे।
समय बड़ा ही उल्टा देखो, धरती माँ चीत्कार करे।।
सतयुग वाला रावण रोये, देख कलयुग का प्रसार।
द्वापर का दुःशासन विस्मित, नित देखा जब दुराचार।।
राजनीति नित हुई कलंकित, वोटों का व्यापार करे।
समय बड़ा ही उल्टा देखो, धरती माँ चीत्कार करे।।
दुधमुँही बच्ची का शोषण, रोज़ाना अख़बार पटे।
युवती किशोरी उम्रदराज़, हर स्त्री का नक़ाब हटे।।
हद नीचता की होती पार, रिश्तों को भी तार करे।
समय बड़ा ही उल्टा देखो, धरती माँ चीत्कार करे।।
सूरज के रथवाले घोड़े, भूल गये कर्तव्यों को।
राजनीति कुर्सी से बंधे, भीषम भूलते कर्मो को।।
धर्म ग्रन्थ सब हुए विसंगत, हर मन हाहाकार करे।
समय बड़ा ही उल्टा देखो, धरती माँ चीत्कार करे।।
मानवता होती नित दूषित, मनुज मनुज पर वार करे।
समय बड़ा ही उल्टा देखो, धरती माँ चीत्कार करे।।