देश
देश
एक नया परिवेश, बदल रहा है देश
कोई कष्ट न हो शेष, राष्ट्र ऐसा चाहिये।
समस्यायें हैं जटिल ,चालें न हो कुटिल
आत्मा न होती चोटिल,समाधान चाहिये।
क्यों भूले अपने कर्म, निभायें अपना धर्म
खोखली हुई व्यवस्था, राष्ट्र को बचाइये।
सबकी आन बान शान, मेरा भारत महान
इसे सोने की चिड़िया, फिर से बनाइये।
