डर था तो
डर था तो


पहचान खोने का डर था तो
यूं खुद को अपना बना लिया
चेहरा बदलने का डर था तो
कोई और मोहरा लगा लिया
मौसम बदलने का डर था तो
तूफान को दोस्त बना लिया
जिंदगी बदलने का डर था तो
मृत्यु को मेहमान बना लिया
यूं नरक में जाने का डर था तो
वापस आने का मन बना लिया
यहाँ स्वर्ग खोने का डर था तो
अपने मन को मंदिर बना लिया
कहे "देव" मत रखो कोई डर तो
अपने ही अंदर ईश्वर समा लिया