STORYMIRROR

Narendra Pradhan

Tragedy

4  

Narendra Pradhan

Tragedy

दौर चल रहा है

दौर चल रहा है

1 min
300

शहर की जलवायु और तापमान बदल रहा है। 

कभी सीने में तो , कभी आँखों में जलन हो रहा है।।

सेहत और रिश्तों का ज़रा ध्यान रखना , मेरे दोस्त।

आजकल मिलावट का दौर , जोर-शोर से चल रहा है।।


इस दौर में कई आए और गए ,ये दौर चलता रहा। 

किसी को मंज़िल मिली ,कोई आज भी मुसाफ़िर बना रहा। ।

ये नसीब का खेल या कर्मों का फल रहा। 

ये मौसम का दोष रहा या मिलावट जोर-शोर से रहा।

        


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy