दायरा
दायरा
जब प्यार का मोती गिरा बनने लगा दायरा,
सिमट के आ गए पहलू में हो गए शायरा।
यूँ न समेटो ज़ुल्फ़ों को अपनी उंगलियों में,
लहराने दो झूम के इन्हे खुली हवा में,
लटों का चेहरे को चूमना बना देता है कायरा।
जब प्यार का मोती गिरा बनने लगा दायरा।
सिमट के आ गए पहलू में हो गए शायरा।
रूहानी रातों में बहुत खूब है तुम्हारा साथ,
पथरीली राहों में भी न छोड़ना मेरा हाथ,
जन्म जन्म तक निभाएंगे ये बन्धन जायरा।
जब प्यार का मोती गिरा बनने लगा दायरा।
सिमट के आ गए पहलू में हो गए शायरा।