STORYMIRROR

Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Abstract

4  

Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Abstract

दाता

दाता

1 min
24.3K

दाता तेरी दुनिया में

बड़ा गजब होता है,

देख-देख कारनामे

मन घुट घुट रोता है।


गरीब को दूर भगाये

अमीर का देते साथ,

गिरते को गिरा देते

भूखे को मारते लात।


अपने ही दुश्मन बने

गैर पर करते विश्वास,

चार पढ़े राजा बनते

पढ़े लिखे होते दास।


जिस थाली में खाते

उसमें ही करते छेद,

दोस्त दगा देते रहते

ले लेते सारे ही भेद।


भाई का भाई दुश्मन

बेटा गला काटे बाप,

यारी में गद्दारी कर

डस लेते बनके सांप।


साधु का ढोंग रचाते

कलियों को देते नोच,

ज्ञानवान बनकर जन

रखते हैं नीची सोच।


क्या क्या हाल सुनाऊं

मुंह कलेगे को आता,

सुनकर नीच हरकतें 

मन दुख से भर जाता।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract