दान की महिमा
दान की महिमा
फूल नहीं पखरी,
चढ़ाते चलो।
शुभ अपनी आदत,
बनाते चलो।।
दाम नहीं हाथों में,
चाम चलो
तुम अपनी राह,
बनाते चलो।।
भला नहीं करते,
तुम भले हो चलो।
गुण तुम खुद अपने,
बढ़ाते चलो।।
पास नहीं साधन,
तो पैदल चलो।
रज गिलहरी जैंसी,
तुम लेके चलो।।
तन साधन चुक जाए,
तो मन से चलो।
नाता प्रभु से तुम,
जोड़के चलो।।
दान की महिमा भारी,
तुम कुछ कर चलो।
नहीं कुछ किया तो,
चले ही चलो।।