Covid ki mahamaari
Covid ki mahamaari
कोई तो किश्त है जो शायद अदा नहीं है
साँस बाक़ी है और हवा नहीं है
नसीहतें, सलाहें, हिदायतें तमाम
पर्चे पर है, पर दवा नहीं है
आँख भी ढक लीजिये संग मुँह केमं
ज़र सचमुच अच्छा नहीं है
रक्त बिका, पानी बिका, आज बिक रही है हवा
कुदरत का ये तमाचा बेवजह नहीं है
हरेक शामिल है इस गुनाह में
क़ुसूर किसी एक का नहीं है
वक्त है अब भी ठहर जाओ
वक्त है अब भी ठहर जाओ
अभी सब कुछ लुटा नहीं है।