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Sapana Vijapura

Romance

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Sapana Vijapura

Romance

चोर तो नहीं

चोर तो नहीं

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तेरी जिंदगी में सिवा मेरे कोई और तो नहीं

यह इश्क है तो फिर इश्क पे कोई जोर तो नहीं।


खिंचती चली जा रही हूँ बेसाखता तेरी जानिब

तेरे हाथों में रख दी खुदा ने मेरी डोर तो नहीं।


मैं शहर में जब आया इल्जाम मेरा दिल चुराने का

आंखें क्यों झुकी है, तेरे दिल में चोर तो नहीं।


अब सन्नाटों से डर नहीं लगता है मुझे लोगों

दिल धड़कता है मेरा लेकिन कोई शोर तो नहीं।


देखते ही तुझे दिल मेरा झूमने लगता है जैसे

'सपना' तेरे सीने में छिपा कोई मोर तो नहीं।


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