Madhu Pradhan

Inspirational

4.3  

Madhu Pradhan

Inspirational

चलो चलें सूरज के गांव २ कवी-श्री शिवनारायण जौहरी व

चलो चलें सूरज के गांव २ कवी-श्री शिवनारायण जौहरी व

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हर पीड़ा चूम चूम

चलो चलें सूरज के गाँव !

पुष्प कुन्ज किसलय


और पवन के हिंडोले

गंध रंगे फूलों को

दे रहे झकोले

थकन धुले पाँवों के


गिन रहे फफोले

यौवन सी झूम उठे

यह सतरंगी शाम

जीवन सा झूम उठे

मस्ती में गाँव


यौवन पी झूम

थिरकन के पाँव

चलो चलो सूरज के गाँव !

जलते पल नंगे ही


बर्फ पर लिटाल दें

गीले पल फैलाकर

अरगनी पे डाल दें

खुशियों के हर पल को


रंग और गुलाल दें

ओढ़ चलें चूम झूम

निरगुनिया चाम

चलो चलें सूरज के गांव।


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