ख्वाहिश
ख्वाहिश
मत दफन कर खुद की ख्वाहिशों को यूं सरे बाज़ार में।
कुछ को जिंदा रहने दे, उल्फते इजहार में।
तमन्ना झर झर, झर रही है झरनों की तरह।
इन तमन्नाओं को मुकम्मल कर भरे संसार में।
कब तक खुद ही मज़ाक बनाओगे जिंदगी का अपनी।
जरा सा तो पर्दा रख खुद के लिए कायनात में।
ख्वाहिशों को अपनी यूं न जाया कर किसी के सामने।
रेत के भी घर बन जाते हैं दरिया के तूफान में।
जिसको सुना सके अपनी हर आरजू तू।
एक ऐसा भी शख्स रख अपने दीदार में।
जिद्द से अपनी अपना वजूद बना कर देख।
किसी को न आजमा जमाने में बस खुद को आजमा कर देख।