सदकर्म
सदकर्म
श्री कृष्ण देख रहे
पैर पे पैर रख
कौन है सदाचारी
कौन है दुराचारी
चित्रगुप्त रख रहे
लेखा जोखा
सबके कर्मो का
हर पलहारी
करो सदा सदकर्म
बनो सुख के
अधिकारी
पाओ मेवा
जीवन भर
करके कर्म
लाभकारी
पल -पल,
तिल- तिल
गल रहा तन
आ रही जाने की
बेला भारी
फिर क्यों ना करे
रे मन सदकर्मों
का पलड़ा भारी
भज ले प्रभु का नाम
संग संग करके
कर्म हितकारी
तर जायेगा
वैतरनी
जीवन की
यही सद कर्म सदा
तारण कारी!