चल खुद पर विश्वास करते हैं
चल खुद पर विश्वास करते हैं
चल खुद पर कुछ विश्वास करते हैं
जो जमीन पर न बस पाऐ अगर
फिर अपना घर आकाश करते हैं।
अपनी बुरि आदतो को मूह चिड़ाकर
बहुत आज खुद को परेशान करते हैं।
नाकामी को भी धूल चटाकर
हम थोड़ा निराश करते हैं।
कही छिप जाते हैं चल कर,ओर
समस्याओ को सारी हताश करते हैं।
क्यूँ ना ऐक दिन के लिए ही सही
सारी उदासी का विनाश करते हैं।
उंगली उठाने वाली सभी आवाज़ों पर
सफलता के तीर से कटाक्ष करते हैं।
डर को आज सुलाकर अपने हम
स्वयं पर एक अंधविश्वास करते हैं।
दुख और सुख की लम्बी कहानी का
एक अच्छा सा सारांश करते हैं।
चल आज खुद पर विश्वास करते हैं
ज़िन्दगी का फिर से आगाज़ करते हैं।
अन्याय के खिलाफ लङकर हम
खुद को गुलामी के पिंजरे से आज़ाद करते हैं,
चल खुद पर कुछ विश्वास करते हैं।