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Neha Dubey

Classics Inspirational

4.5  

Neha Dubey

Classics Inspirational

चिड़िया को फिर से गाने दो

चिड़िया को फिर से गाने दो

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361


अब नैतिकता का हुआ पतन, पथ भ्रष्ट रहो हैं यही जतन।

''टुकड़े-टुकड़े कर दो भारत के'', बस ये न कहुँ हूँ देश भक्त 

स्वाभिमान के हों टुकड़े पर, कर दूँ दूषित भारत का रक्त 

सांसें बोल रहीं चीखों से, नायक लेगा अब कदम सख्त।


भारत के नायक से क्या आशा जब दुनिया का नायक सोया है ?

है कर्म प्रधान ये पाठ पड़ा कर खुद भी छिप-छिप के रोया है। 

जो माँ बेटी केआँचल की भी लाज नहीं रख सकता है,  

वो भारत माँ के स्वाभिमान का क्या आश्वाशन देता है i 


वर्तमान में जो बच्चे हैं, यही भविष्य रचने वाले,  

सोने की चिड़िया को पिंजड़े में तार तार करने वाले।

इनके कंधो पे देश टिका, आचरण सोच संग गया बिका 

देश ये जिसको भगत सिंह, लक्ष्मी बाई का कहते हैं, 


इस बलिदानी मिट्टी के ऊपर ये दीमक बनके रहते हैं।

कायर, वैहशी ये सारे खुद को हिंदुस्तानी कहते हैं-

मेहनत करने की उम्र में इनको काम-वासना सूझी है  

मत भूलो वो युग सीता जब उस रावण से जूझीं हैं  


राम,कृष्ण और महावीर ने हिन्द में ही क्यों जन्म लिया ?

क्यों घाटी को महादेव ने खुद अपना दरबार किया ?

स्वर्ग से गंगा आ कर क्यों भारत में बहने लगती है ?

वैष्णव धाम मुकुट है इसका, क्यों तीर्थ सभी यहाँ पायल हैं ?


मेहंदी बनके इसके हाथों को पुष्कर ने क्यों महकाया है ?

कामाख्या क्यों है कंगन, क्यों नानक दिल में छाया है ?

शर्म करो करतूतों पे तुम, भारत में जीवन पाया है। 

अरे ! तुम्हे सुरक्षित रखने को वो फिर से रण-थल शीश भूल आया है।


नौजवान तुम, बस था जवान वो, अपने सुख

भूल के जिसने तिरंगे को बचाया है। 

अब तो कुदृष्टि को छोड़ के अपने कर्तव्यों का आभास करो।

भारत को माता कहते हो, तो नारी का ना उपहास करो।


पिंजड़े को कर दो तार -तार फिर से चिड़िया को गाने दो,

हो संस्कार सम्मानित फिर से, शौर्य को नभ में छाने दो।

इतिहास के पन्नो को पलटो, निर्मित करो वो भव्य रूप, 

अंग्रेज़ों की सभ्यता नहीं है अन्धकार में वो धूप।


आधुनिक थे पूर्वज, थी दिल में उनके अपनी रज।

आधुनिकता सीखो उनसे, स्वावलम्बी तुम बनो। 

अश्लीलता को त्याग दो इतिहास फिर नया गड़ो।

नैतिकता का पालन होगा, भ्रष्ट नहीं होगा अब पथ।


जिस्म नहीं, पूजा जाये बस स्वाभिमान का ही रथ।

महाराणा प्रताप बनके चेतक को थाम लो।

हिन्द को हिन्द ही रहने दो, अगर भारत को माता मान लो।


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