छूना है मुझे आसमान
छूना है मुझे आसमान
माँ , तूने ही दिखाई थी
वो सपनीली दुनिया
जहाँ सभी हों एक समान
ना कोई बड़ा,
ना कोई छोटा सभी हो सुखी,
ना हो कोई दुखी….
तू हँसती है माँ,
अपने अबोध पुत्र पर ?
तू अपनी शक्ति से अंजान है !
तू जीवनदायिनी है तो
कर्मप्रशस्थिनी भी है…...
मुझे रचनी है वो दुनिया,
गर तेरा साथ है तो
असंभव भी संभव है
फिर, आसमान की क्या बिसात
हाँ , छूना है मुझे आसमान।
तेरे हौसले की नींव पर,
हौले से कदम रख
मुझे उड़ना है ….दूर बहुत दूर।
बाबा की दी बुलंदी
दौड़ रही नस-नस में
रुकना नहीं, थकना नहीं
बस बढ़ते जाना है
बारम्बार लगातार।
हो कितनी भी कठिन डगर
टेढ़ी-मेढ़ी, ऊबड़ -खाबड़
कंटीली, पथरीली राहें,
निर्धारित कर अपनी मंजिल
मृगतृष्णा से बचते बचाते।
लिए अर्जुन सी चील निगाहें
बस बढ़ते जाना है
बारम्बार लगातार।
गर तेरा साथ है तो
असंभव भी संभव है
फिर, आसमान की क्या बिसात
हाँ, छूना है मुझे आसमान।