STORYMIRROR

Dr.Pratik Prabhakar

Inspirational

4  

Dr.Pratik Prabhakar

Inspirational

छठ क्यों

छठ क्यों

1 min
207

जय छठी माता, जय दीनानाथ

खड़ी व्रती जल में ,अर्ध्य है हाथ।

प्रियंवद मालिनि ने संतान पाया

पांडवों ने भी राज्यधन है पाया

आप से ही है दिन आप से रात।

जय छठी माता, जय दीनानाथ।


है व्रती ने नहाकर सात्विक खाया

मिट्टी से भगवन ,है चूल्हा बनाया

हो आशीष अब हमारे भी साथ।

जय छठ माता, जय दीनानाथ।


आपने है दिया रोगी को सुकाया

आप से ही धूप दिन और है छाया

हाथ जोड़े व्रती झुके हुए है माथ।

जय छठी माता, जय दीनानाथ।


आप सृष्टिप्रकृति भीआप समाया

जिसने पूजा है सब सुख पाया।

विनती करें, हर भगिनी - भ्रात।

जय छठी माता, जय दीनानाथ।


निशासे हम सबने है दीप जलाया

तब जाकर देव हमने दर्शन पाया

किरणें चमके दिखे देव साक्षात।

जय छठी माता, जय दीनानाथ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational