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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

छत्रपति शिवाजी-में फिर से हिन्दू राज्य की स्थापना करने आया हूं

छत्रपति शिवाजी-में फिर से हिन्दू राज्य की स्थापना करने आया हूं

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मैं फिर से हिन्दू राज्य की स्थापना करने आया हूं

अपने लहूं से मां भारती का श्रृंगार करने आया हूं

मैं जीजाबाई का पुत्र,वीर मराठा छत्रपति शिवाजी हूं,

मैं फिर से हिन्दुस्तान मैं भगवा फहराने को आया हूं

समझो हिंद के लोगों ,मुगलों को यहां से उखाड़ फेंको

गुलामी की जंजीरों से तुम्हें आज़ाद कराने आया हूं

मैं फिऱ से हिन्दू राज्य की स्थापना करने आया हूं

शत्रु जब रण मैं अपने से ज़्यादा ताकतवर हो,

चहुं ओर से जब नहीं कोई मित्रता का दल हो,

तब युद्ध की शुक्र,चाणक्य नीति सिखाने आया हूं

जब गिर जाओ तुम एक गहरी पराजय की खाई में,

तब उस पराजय की विजय का मंत्र बताने आया हूं

मैं फिर से हिन्दू राज्य की स्थापना के लिये आया हूं

दुश्मन जब अन्यायी हो,असत्य का जब वो भाई हो

तब छापामार युद्ध,लड़ने का शिवसूत्र देने आया हूं

अपने तारे जब गर्दिश में हो,करलो संधि पुरंदर की

पर जब भी तुमको मौक़ा मिले,काट डालो शत्रु को

मैं मुगलों के छल को उन्ही के छल हराने आया हूं

मैं फिऱ से हिन्दू राज्य की स्थापना करने आया हूं

ग़द्दारों पर क्षणिक भी रहम नहीं उन पे वार करो,

एक बार नहीं हज़ार बार जयचंदो का सर कलम करो

जो जैसा है उसके साथ तुम वैसा ही व्यवहार करो

अपनी मातृभूमि के साथ तुम लोग बस न्याय करो

मैं फिऱ से हिन्दू राज्य की स्थापना करने आया हूं

पर काश कि सब लोग इस शिवा को समझ पाते,

मेरे अंतर्मन की वेदना को तुम ज़रा भी पढ़ पाते,

गुलामी की दास्तां से सारे भारत को मुक्त करा देता,

पर कश कि सारे मेवाड़ी राजा मेरे साथ खड़े हो पाते

मैं फिऱ से भारत के पुराने गौरव को लौटाने आया हूं

मैं फिर से हिन्दू राज्य की स्थापना करने आया हूं

शिवाजी से हम से ज़्यादा वियतनाम जाग गया है

बरसों के युद्ध मे वो अमेरिका को पीछे हटा गया है

पत्रकार ने पूछा आपने कैसे अमेरिका को हटाया है

तब राष्ट्राध्यक्ष ने शिवाजी को अपना आदर्श बताया है

मैं ऐसे वीर शिरोमणि शिवाजी का गीत गाने आया हूं

मैं फिर से हिन्दू राज्य की स्थापना करने आया हूं

ऐसे ही एकबार वियतनाम का विदेशमंत्री भारत आया

उसे लाल किला,आगरा आदि वगैरह सब दिखलाया

पर उसने पूछा शिवाजी की समाधि कहां है,भाया,

मैं हिंन्दुस्तान मैं बस शिवाजी को नमन करने आया हूं

जब उसे समाधि पर ले जाया गया,उससे रहा न गया

उसने वहां की थोड़ी माटी को अपने थैले में भर लिया

सबने पूछा आपने यहां की माटी को क्यों थैले में लिया

वो बोला मैं ये माटी,अपने देश की माटी में मिला दूँगा

ऐसे मैं भी अपने देश को रणधीर बना दूँगा,

उसकी बातें सुनकर मेरा रोम-रोम सिहर उठा

शिवाजी को याद कर आंखों से पानी छलक उठा

तेरी जय हो शिवा,रण मैं तुझसा नही है कोई दूजा

तू सदा हम हिंदुस्तानियों के दल में जिंदा रहेगा

तेरा आदर्श सदा देशभक्ति की जोत जलाता रहेगा

तेरे बारे में दो शब्द लिखकर हे छत्रपति शिवाजी

मैं खुद को बेहद गौरवान्वित महसूस कर आया हूं

मैं फिर से हिन्दू राज्य की स्थापना करने आया हूं।



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