STORYMIRROR

Kishor Zote

Abstract

3  

Kishor Zote

Abstract

छोड़ दो

छोड़ दो

1 min
301

चलो छोड़ दो तुम

कल की बात पुरानी

कुछ सोचते नया

लिखते मिलकर कहानी


जो बीता भूल जाओ

ना तुम आंसू बहाओ

नया दिन नई शुरूआत

चलो आगे बढते जाओ


सच्चाई के राह पर 

तकलीफ हरदम देखो

ना छोड़ना राह वह

उजालों की तुम देखो


बीती रात को जब

कमल दल जो फूले

हम भी उसी तरह

पल-पल आगे चले।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract