चैन की साँसें
चैन की साँसें
जिंदगी बड़ी खामोश हुई है
जैसे के वह बेहोश पड़ी है।
ना जिंदा ना ही मुर्दा
बस कुछ पलों के लिए बेबाक हुई है।
रास्ता नजर नहीं आता इतना कोहरा
छाया हुआ है नजरों के आगे।
कोई उंगली थामने वाला भी
अब पास नहीं आता।
कैसे बताऊँ की तन्हाई अब अच्छी लगती है।
खुदको अंधेरों में कही झौक दूँ
जहॉं कही दिल का सुकुन मिले मुझे
बड़ी दूर तक आई हूँ मैं भागते भागते।
कोई चैन की सॉंसें बेचता तो
पहला खरीददार मैं होती उसका।
आज तो वह भी महंगी हो चुकी है।
चलो मौका मिला है एक बार
जिंदगी को मुड़ के देखने का।
आओ हम तुम साथ मिलकर
यह नजारा दोबारा देखे।
यह पंछियों की चहचहाट
कानों में यू ही गुंजती रहे।
यह निला आसमाँ आँखों के
सामने यूँ ही लहराता रहे।
इन सबको हमने एक एक करके
जिंदगी से बेदखल कर दिया।
और आज इस जिंदगी की दौड़ में
चंद चैन की सॉंसों के लिए
मोहताज बने है।
कोई बेचता तो मैं ही होती
उसका पहला खरीददार।