इक कहानी
इक कहानी
इक कहानी
इक कहानी ब़ड़ी ख़ूब़सूरत,
ज़ो तुमने सुनाई...
हाँ ! वही, इक सफ़ेद गुलाब़
और इक पंछ़ी की
कितनी ख़ुब़सूरत !
मख़मली सा वह
ख़ून का रंग,
वो द़िल का द़र्द़,
वह मुस्कुराती मोहब्ब़त।
ज़ो द़िल ब़नके न ज़ाने
कितने सीनों में ध़ड़कती है
क्या पता हम कैसे है ?
उस एहसान फ़रामोश़
फ़ूल जैसे या उस
आश़िक पंछ़ी ज़ैसे ?
पर कभ़ी कभ़ी
सवाल भ़ी
आता है द़िल में।
क्या वह फ़ूल
सच में
एहसानफ़रामोश थ़ा ?
तो क्यूँ उसे
आज़ भ़ी प्यार की
निश़ानी माना जाता है ?
बताओ ना !