चाय
चाय


आँख खुलते ही सबको एक तलब सताती है
चाय, हाँ चाय, सुबह तू ही तो याद आती है।
स्याह रात की रँगत लिए काली चाय पत्ती है
सूरज की उजली रँगत लगे मीठी चीनी है ।
चाय की चुस्की सँग अब व्हाट्सएप चलता है।
अब समाचार कोने में पड़ा - पड़ा टसुए बहाता है।
कोई लड़का पहली दफ़े चाय पर आता है
जब लड़की का पापा घर चाय पर बुलाता है।
खाली बैठे बोर होते , चल चाय पीते हैं।
वर्क फ्रॉम होम में - पति देव यह फरमाते हैं।
सर्दी , ज़ुकाम भी जब हमको खूब सताती है।
अदरख इलायची की चाय आराम दिलाती है।
सर दरद की भी ये बड़ी कारगार दवाई है
पीते सुबह- सुबह सभी लोग लुगाई है।
सुबह चाय की दूकानों में मेले से लगते हैं।
कई तो मिलने वहाँ यारों से जल्दी जगते हैं।