चाय पी लो न !
चाय पी लो न !
सुनो !
चाय पियोगे ?
कभी कभी चाय भी
पीनी चाहिए !
चाय में होती है
चीनी , दूध
और चायपत्ती
जो मिलकर बनाते हैं
एक अलग वज़ूद
जैसे तुम और मैं
मिलकर हो गए हैं
हम
और मिलता है
पल भर का सुकून,
थोड़ा सा समय
जिसे हर घूँट में
हर चुस्की में
हमारे साथ होने का
अहसास दिलाता है
चाय के कप से
उड़ती हुई भाप
हमारे प्रेम से उष्मित ,
कितना अच्छा होता
कि ये चुस्कियाँ
खत्म न होतीं
तुम और मैं
यूँ ही
हम हुए रहते
ये आपाधापी
उहापोह न होती
पर
जीवन है तो
गति है
साथ न चले
तो पिछड़ जायेंगे
और साथ चलने के
क्रम में
अक्रमिक ,
हम हम न होकर
तुम और मैं
दो अलग
दिशाएं
दो अलहदा
किरदार
तो सुनो !
चाय पी लो न !

