चांदनी
चांदनी
इश्क की चांदनी में नहाने लगा हूं
ख्वाब सुहाने अब सजाने लगा हूं
तेरी शर्मीली आंखें भी कह रही हैं
कि मैं तेरे दिल में समाने लगा हूं।
चांदनी में भीगकर इश्क और भारी हो गया है
चाहत का सिरहाना बनाके ख्वाबों पे सो गया है
दबे पांव आना ख्वाबों में नहीं तो ये टूट जायेंगे
मेरा दिल दीवाना तेरे प्यार में पागल हो गया है।
