STORYMIRROR

Ramkumari Karnake

Abstract

3  

Ramkumari Karnake

Abstract

चाँद क्यों रुठा सा है..

चाँद क्यों रुठा सा है..

1 min
359

बदली बदली सी हवाऐं हैं,

महकी- महकी ये फ़िज़ाएँ हैं,

ये क्या चाँदनी कुछ नासाज़ है,

या आज चाँद रूठा-सा है।


बदला रूख नज़ारों ने है,

या आँखों में एक पर्दा-सा है,

क्या अमावस की रात है,

या आज चाँद रूठ -सा है।


मेघराज हर्षित है,

या दोष नीलकंठ ( मोर ) के नृत्य का है,

रंग काला बादलों का है,

या चाँद आज रूठा - सा है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract