चाँद क्यों रुठा सा है..
चाँद क्यों रुठा सा है..
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बदली बदली सी हवाऐं हैं,
महकी- महकी ये फ़िज़ाएँ हैं,
ये क्या चाँदनी कुछ नासाज़ है,
या आज चाँद रूठा-सा है।
बदला रूख नज़ारों ने है,
या आँखों में एक पर्दा-सा है,
क्या अमावस की रात है,
या आज चाँद रूठ -सा है।
मेघराज हर्षित है,
या दोष नीलकंठ ( मोर ) के नृत्य का है,
रंग काला बादलों का है,
या चाँद आज रूठा - सा है।