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Gyaneshwar Anand GYANESH

Inspirational

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Gyaneshwar Anand GYANESH

Inspirational

चाँद चेहरे

चाँद चेहरे

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उस पे उस विधाता को, आक्रोश आता है ।

जो किसी भी इंसा को, बेसबब सताता है।।

रोज़ मर रहा हूं मैं, इस तड़प के ख़ंज़र से।

मेरा क़त्ल क्यों मुन्सिफ, शहर से छुपाता है।।

इस क़दर सताया है, मुझको चाँद चेहरे ने।

दर्द से कलेजा तक, भाई मुँह को आता है।।

मेरे शहर में ऐसा, एक अजब शराबी है।

रोज़ ही कमाता है, रोज़ ही गँवाता है।।

उससे क्या बताऊँ मैं, अपने दिल की बेताबी।

वो मेरी ज़रूरत का, फायदा उठाता है।।

देख कर उसे "ज्ञानेश", आँख ने कहा दिल से।

इस हसीं से लगता है, हर जनम का नाता है।।



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