ग़ज़ल - ऐसा ज़ाल है दुनिया
ग़ज़ल - ऐसा ज़ाल है दुनिया
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अगर नफरत हो आपस में, तो फिर कंगाल है दुनिया।
मुहब्बत है तो फिर क्या, फिर तो मालामाल है दुनिया।
बहुत जल्दी सुनो! धरती पे, फिर जन्मेंगें दशरथ वंश।
रावण राज से रावण, परेशाँ हाल है दुनिया।
वो जिस पर चढ़ते चढ़ते, लोग अक्सर गिरने लगते हैं।
सुनो ए जाँनशीं, वो जानलेवा ढाल है दुनिया।
तू रब दे वास्ते सच्चाई दे रस्ते नू निकला है।
ओ यारा, गल ना करना तू ,के तोड्डे नाल है दुनिया।
जवानी में खुला, ये नर्क है , तो आँख भर आईं।
मियां बचपन में लगता था के नैनीताल है दुनिया।
हजारों साल से इंसान, जिसमें फँसते आये है।
अमाँ ! ज्ञानेश्वर आनन्द ऐसा जाल है दुनिया।।