बसन्ती मन
बसन्ती मन


पीली पीली सरसों सी बसन्ती,
मन प्रफुल्लित पात भय।
मंद मंद मुस्काती पवन,
मारे हिलोरे दिल में मधुमय।
मधुमास की चन्चल रागिनी,
नित नवीन उत्साह भरे.।
अनन्त अमिट ख्वाबों में,
प्रीतम ही आन भय।
हजारों पुष्पों की सुगन्ध।
मन में बसन्ती बयार झूमे।