बसन्त
बसन्त
यौवन जीवन का है बसंत ।
भैरवी तान की तरह मधुर, उज्जवल प्रभात की यह उमंग ।
जो स्निग्ध सांध्य की छटा लिए,कण-कण में भर देता अनंग।। यह प्रथम मल्लिका कलिका सी ,कर्ता जीवन को दिग दिगंत यौवन जीवन का है बसंत ।।
यह शरत चंद्र का मधुर रूप ,मध्यान्ह ग्रीष्म उत्ताप विकल। भूकंप भयंकर अवनी का ,ज्वाला के मुख सा उच्छ्रंखल।।
मातंग, मदान्ध ,निरंकुश यौवन प्रबल ,प्रभंजन सा प्रचंड ।
यौवन जीवन का है बसंत।।
यदि उन्नति का सर्वोच्च शिखर तो अधः पतन का भी खंदक। यदि त्याग तपस्या कीर्तिमान , तो कर सकता है विश्व त्रस्त।। यश दुन्दुभि का यह तुमल नाद, जय वैजयंती का सुदृढ़ दंड। यौवन जीवन का है बसंत ।।
रणचंडी की ललाट रेखा , रावण का निर्भय अहंकार ।
प्रहलाद भक्त का सत्याग्रह, कर सकता सत्ता तिरस्कार।।
पाकर यौवन नर मतवाला , भर देता जीवन में उमंग।
यौवन ही जीवन का बसंत ।
रस परिभाषा बिहीन कविता का कुशल चितेरा ,स्वयमसिद्ध।
हो छंद शास्त्र अनभिज्ञ भले,प्रतिभाशाली कवि यह प्रसिद्ध।। भगवदरचना के कौशल का उत्कृष्ट नमूना है यौवन ।
यौवन जीवन का है बसन्त ।