बस....तुम्हारे लिये
बस....तुम्हारे लिये
मेरा गम भी मुस्कुराता है
बस तुम्हारे लिये.....
ख्वाब भी मुझको जगाता है
बस तुम्हारे लिये.....।।
सुबह का भोर भी
आ-आकर अब तो ऐसे ही
मुझे हर बार बुलाता है
बस तुम्हारे लिये.....।।
रात में चाँदनी भी
मुझको जलाती रहती
नींद भी मुझको जगाती है
बस तुम्हारे लिये.....।।
यूँ तो बारिशों में भीगना
मुझको पसंद नहीं
मुझे मेरा आँसू भिगाता है
बस तुम्हारे लिये.....।।
तुम्हारे इश्क के चर्चे से
मै मुख़ातिब हूँ
मैने तक़रार छोड़ दी है
बस तुम्हारे लिये.....।।