बरसात और साहित्य
बरसात और साहित्य
मैं अंदर बैठा हूँ और बाहर हो रही बरसात,
ऐसे मे मेरे पास है कागज कलम का साथ।
बरसात पर तो औरों ने भी लिखा है कुछ तो,
मैं भी इस पर लिखना चाहता हूँ कुछ खास।
उन कवियों के मन में तो कुछ आया होगा,
जैसे मेरे मन में बूंदें देख आती है कुछ बात।
कुछ ने बरसात को ख़राब लिख दिया है तो,
किसी ने प्रेमियों की वर्षा में कराई मुलाकात।
बरसात से तो 'साहित्य' का पुराना नाता है,
इसे देख सबके मन मे कुछ न कुछ आता है।
बरसात में किसी ने मिट्टी की खुशबू बताई,
किसी ने ज्यादा बरसात की कहर दिखाई।
कवि तो हर एक पहलू की बात करता है,
साहित्य में वो वर्णन-ए-बरसात करता है।