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Prachi Raje

Romance Tragedy

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Prachi Raje

Romance Tragedy

बर्फीली सड़क

बर्फीली सड़क

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वो दूर है मुझसे, पर मिलने की आस कम नहीं होती,

एक उम्मीद मन में जल सी रही है, वो आग मद्धम नहीं होती,

दिल कहता है भूल जाने की कोशिश तो करो,

दिल को कैसे बताऊँ, भूलने से भी यादें ख़त्म नहीं होती।


जिस दिन घर छोड़ कर निकले थे, पीछे मुड़ कर आखों का पानी पोंछा था,

हाथ हिला कर, थोड़ा मुस्कुराकर, संयम से "चलता हूँ" कहा था.

उनके मुरझाए हुए चेहरों पर भी थी गहरी उदासी,

"जल्दी वापस आओगे ना" पूछने को थी अखियाँ प्यासी।


"क्या रखा है उस दूर देस में? पैसे तो यहाँ भी मिल ही जाते हैं. "

अक्सर यही कहते कहते पिताजी अपने वक़्त की कहानियाँ सुनाते हैं.

माँ कहती रहती थी "क्या खाओगे, कैसे रहोगे, कुछ दिनों में दुबले हो जाओगे।"  

बस एक छुटकी बहना ही थी जो चहक कर पूछती थी "भाई विदेश से मेरे लिए क्या लाओगे।"


अब, रोज़ यहाँ की बर्फीली सड़के देख अपने गांव को याद करता हूँ,

किससे बातें करू, कौन सुनेगा मेरी? यही सोच आज खिड़की पर बैठा हूँ.

कही कोई दोस्त दिख जाये, उसे बताना चाहता हूँ अपने गांव-परिवार की कहानी,

पर यहाँ कोई भी नहीं जो समझता हो मेरे दिल की ज़ुबानी।


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