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Bhargavraj Mor

Abstract

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Bhargavraj Mor

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बंजारा

बंजारा

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 हम तेरे शहर में आये बन के बंजारा .....

 तुझे पहली दफ़ा देखा तो धड़का दिल                                   

 बन के बंजारा.....

 तू है एक जनत की परी  

 तुझे मैं देखता ही रहूं..... 

 तुझे देखते ही दिल का धड़कना 

 फिर तेरा मुस्कुराना.....

 जैसे जन्नत का जमीन पर आजाना  

 तेरा बन जाना .......

 हम तेरे शहर में आये बन के बंजारा .....

तेरा यूँ बातों ही बातों में मुस्कुराना 

 जैसे बारिश का आना.....

 तेरा यूँ लचक के चलना  जैसे 

 हवा का लहराना.....

 मैं हूँ एक गैर सा मुसाफ़िर 

 तू है मेरी मंजिल .....

 तुझे पा लूँ मैं अगर तो बनजाऊँ

 हमसफ़र ....

हम तेरे शहर में आये बन के बंजारा।

                 


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