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Neeraj Yadav

Abstract

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Neeraj Yadav

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बिना मोल भाव में

बिना मोल भाव में

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तू जख्म ना कुरेद, जिंदगी के घाव में,

मेरा बजूद जल रहा है, दर्द के अलाव में।


तुझे कीमत पता नहीं है,वेवशी के दौर की,

मैंने जिंदगी बेची है, बिना मोल भाव में।


उम्र कुछ यूं कटी है अपनी,इन तन्हाइयों में,

एक अनजान डर लगता है, मोहब्बत की छांव में।


आज जो दूर रहने के, बहाने ढूंढते हैं यार,

जिन्दगी गुजरी है उनकी,इन बांहों की पनाह में।


वो जो बदनाम होने की दुहाई,दे रहे हैं अब,

उन्होंने दिल बिछा दिया था, इन्तज़ार-ए-राह में।


तुम्हारे शहर में तो प्यार भी, नीलाम है "नीरज",

आज भी दिल से रिश्ते, निभाते हैं लोग गांव में।


बहुत जी भर गया है, लोगों की फितरत को देखकर,

शूल चुभने लगे हैं, बेवफाइयों के पांव में।


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